दिल्‍ली में 23 करोड़ रुपए से बने स्मॉग टॉवर पर ‘ताला’! खतरनाक प्रदूषण के बावजूद बंद, जानें क्‍या है कारण

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नई दिल्‍ली. बीते एक सप्‍ताह से दिल्‍ली में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है. दिल्‍ली और आसपास के इलाकों में 7-8 दिनों से लगभग धूप नहीं निकली है. जबकि राष्ट्रीय राजधानी में कोहरे की घनी परत के साथ ठंड का मौसम बना हुआ है. इससे शहर में ‘बहुत खराब’ वायु गुणवत्ता के कारण दृश्यता भी प्रभावित हुई है. ऐसे हालातों के बावजूद जब खतरनाक वायु गुणवत्‍ता का स्‍तर चिंता बढ़ा रहा है; तब भी शहर के कनॉट प्लेस में स्थित स्मॉग टॉवर ‘लॉक’ रहा. इसका निर्माण 23 करोड़ रुपए से हुआ था और इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2021 में बहुत धूमधाम के बीच किया था.

जानकारी के अनुसार स्‍मॉग टॉवर के संचालन को रोक दिया गया है. यहां काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि उन्‍हें दिसंबर 2023 के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है और इस कारण से उन्‍होंने इस पर ताला लगा दिया है. ‘इंडिया टुडे’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह टॉवर की देखरेख का काम दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) के अधिकार क्षेत्र में आता है. उन्‍होंने इसके लिए विबग्योर कंसल्टिंग नामक एक निजी एजेंसी को इसे संचालित करने का ठेका दिया गया था. विबग्योर कंसल्टिंग ने टॉवर को संचालित करने के लिए 13 सदस्यीय टीम को काम सौंपा है.

अप्रैल 2023 में भी हो गया था बंद, फिर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
टॉवर का संचालन करने वाले एक कर्मचारी महिपाल बिष्‍ट ने बताया कि इससे पहले अप्रैल 2023 में भी टॉवर बंद हो गया था. इसके बाद नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली सरकार को फटकार लगाते हुए इसे शुरू करने को कहा था. इसके बाद 8 नवंबर को एक बार फिर से इसे शुरू किया गया, लेकिन अब फिर वही हालात हैं. उन्होंने कहा कि हमें समय पर वेतन नहीं दिया गया और हमारा दिसंबर का वेतन अभी तक नहीं दिया गया है. इससे ऊपर, हमारी कंपनी को दिल्ली सरकार से कोई नौकरी की पुष्टि भी नहीं मिली है. अन्‍य सदस्‍यों ने भी कहा कि दिल्‍ली सरकार की ओर से कोई लिखित ‘नौकरी की गारंटी’ नहीं दी गई है.

स्मॉग टॉवर को बंद करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं
कर्मचारी महिपाल बिष्‍ट ने कहा कि आखिरका, हमारे पास स्मॉग टॉवर को बंद करने का ही एक विकल्प था. दूसरी तरफ, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, शनिवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 321 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है. शून्य और 50 के बीच एक AQI को ‘अच्छा’, 51 और 100 को ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है.

दिल्‍ली में 23 करोड़ रुपए से बने स्मॉग टॉवर पर 'ताला'! खतरनाक प्रदूषण के बावजूद बंद, जानें क्‍या है कारण

23 करोड़ रुपए खर्च लेकिन नहीं है बुनियादी सुविधाएं
टावर चलाने वाले कर्मचारियों ने बताया कि इस टॉवर में न तो पीने का पानी है और न ही सुलभ शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं हैं. इसी टीम के एक अन्‍य सदस्‍य ने कहा कि यहां काम करने वालों को सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए हैं. उन्‍होंने कहा कि ‘प्‍लायर और स्‍क्रूड्राइवर जैसे बुनियादी उपकरण भी उपलब्‍ध नहीं हैं. उन्‍होंने कहा कि यह स्‍मॉग टॉवर अपनी क्षमता से काम नहीं कर पाया है. रिपोर्ट के अनुसार, सदस्यों में से एक ने कहा कि टावर में स्थापित 5000 फिल्टर में से अधिकांश पुराने हैं और उन्हें बदलने की जरूरत है.

Tags: Air Pollution AQI Level, Delhi AQI, Delhi smog tower, New Delhi AQI, Pollution AQI Level

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